Diwali Wishes

दीपावली की मंगल शुभकामनाए !

मेरा समर्थ भारत एक स्वप्न है देश के विकास में देश के सभी नागरिकों की भूमिका का जिसे समय-समय पर देश के महान महापुरुषों ने देखा था। इस स्वप्न को पूरा करने के कई बार प्रयास किए गए, परंतु एक सामाजिक आंदोलन का स्वरूप नहीं बन सका। इसकी असफलता का कारण महापुरुषों के प्रयासों में कोई कमी नहीं थी, अपितु समाज द्वारा सकारात्मक ऊर्जा को स्वीकार करने की इच्छा शक्ति की कमी थी। 

२०१४ मे देश के नेतृत्व ने एक छोटी से जागरूकता के प्रयास “स्वच्छ भारत” की अपील से जो देश के नागरिकों में सकारात्मक ऊर्जा को स्वीकार करने की इच्छा शक्ति जगा दी  है, उसी ने हमें ये मौका दिया की “स्वच्छ भारत अभियान” से “स्वच्छ भारतीय-समर्थ भारतीय” बनाने का स्वप्न पूरा किया जा सके।

स्वामी विवेकानन्द जी ने एक स्वप्न देखा था कि यदि “मुझे १०० व्यक्ति मिल जाए तो मैं  भारत को पुनः विश्व गुरु बना दूँगा” । हमने स्वामी विवेकानन्द जी को तो नहीं देखा। परन्तु सौभाग्य मिला उनके जैसे ही स्वप्न देखने वाले एक संत, एक वैज्ञानिक, एक राष्ट्रपति, एक शिक्षक  भारत रत्न डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम जी के स्वपन को पूरा करने का और उसमें भी सबसे बड़ी परमात्मा की कृपा ये रही की देश में सकारात्मक ऊर्जा को स्वीकार करने का माहौल देना वाले नेतृत्व परम श्रद्धेय श्री नरेंद्र मोदी जी ने ऐसा सामाजिक मंत्र दिया जो सदियों से भारत भूमि के लिए स्वप्न देखने वाले ऋषियों और मुनियो की तपस्या को सिद्धि प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त करता है।

परम श्रद्धेय श्री नरेंद्र मोदी जी ने २३ मई २०१९ को नए भारत की सोच की जो नीव रखी वो अद्भुत अदम्य और अलौकिक है। “उन्होंने कहा 21वीं सदी में भारत में अब दो ही जाति है एक जाति है गरीब और दुसरी जाति है देश को गरीबी से मुक्त कराने के लिए कुछ न कुछ योगदान देने वालों की। एक वो है जो गरीबी से बाहर आना चाहते है दुसरे वो है जो देश को गरीबी से मुक्त कराना चाहते है। ये दो ही जाति है और इसलिए हमें 21वीं सदी में इन दोनों को सशक्त करना है और गरीबी से बाहर लाने में जो बढ़चढकर के मदत कर रहा है उसको भी ताकत वर बनाना है। ये दो शक्तियां इस देश पर गरीबी के कलंक को मिटा सकती है इस सपने को लेकर हमें चलना है”।

इस सोच ने हमको काम करने का माहौल तो दिया ही साथ ही सामान्य जन मानस को भी इस स्वप्न को स्वीकार करने के लिए तैयार कर दिया। 

वर्षों से देश में गरीब की मदद करने का काम किया जा रहा है परन्तु दशकों से गरीबी देश की एक गम्भीर समस्या बनी हुई है। गरीब को गरीबी से खुद कैसे बाहर निकलना है, इसकी समझ गरीब को होना बहुत आवश्यक है और यह समझ समाज की संरचना का हिस्सा भी होना चाहिए। 

“गरीब पैदा होना अपराध नहीं, परन्तु गरीब मरना अपराध है” इस विचार की समझ समाज व्यवस्था का अभिन्न अंग होना वर्तमान आवश्यकता है।

देश के विकास हेतु हम सभी अपने अपने स्तर पर सेवा कर रहे हैं। देश में विद्यालय बनाना जितना आवश्यक है, उससे ज्यादा विद्यालय के विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास आवश्यक है। विद्यार्थी के निर्माण में शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण है, परन्तु दुर्भाग्य से वर्तमान समय में हमारे शिक्षकों का स्तर चरित्र, ज्ञान, अनुशासन एवं संस्कारयुक्त व्यक्ति-निर्माण के निर्माता की आवश्यकता को पूरा नहीं कर पा रहा है। 

ऐसी परिस्थितियों के कारण वर्तमान समय के विद्यार्थियों के निर्माण में होने वाली त्रुटि राष्ट्र के लिए घातक हो चुकी है। इस परिस्थिति में अनुकूल परिवर्तन लाकर विद्यार्थी को दोष मुक्त करना आवश्यक है। उन्हें इस दोष युक्त स्थिति में छोड़ देना देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ से कम भी नहीं होगा।

इस दिशा में देश के साधारण जन का स्तर श्रेष्ठतम बनाना और उनका उनके ही द्वारा सर्वांगीण उत्थान का वातावरण बनाने का प्रयास समर्थ ट्रस्ट पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डा  एपीजे अब्दुल कलाम जी की प्रेरणा से “मेरा समर्थ भारत” अभियान के द्वारा कर रहा है।

हम सब अपने अपने स्तर पर बहुत कुछ कर रहे हैं। परन्तु अब अलग-अलग काम करने का समय नहीं रहा, हम सभी को एक चिन्तन, एक मंथन के द्वारा एक कार्यक्रम तक पहुँचना होगा। आपका विचार इस दिशा में आवश्यक है। सभी को मिलकर काम करने का ही भविष्य है, अकेले काम करने का नहीं, इस विचार की सार्थकता के लिए सम्पर्कसंवाद, सहमति और समन्वय की प्रक्रिया से गुजरना आवश्यक है।

इस प्रवास के द्वारा प्राप्त होने वाले एकात्म से ही भारत के भारतीय की भारतीयता को जीवन्त बनाएं रखने का प्रवाहित प्रयास भारत के पुनरुत्थान के आधार को सुदृढ़ बनाए रखेगा।

जय भारत 

मनीष मंजुल

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